बच्चों की मनोरंजक और मज़ेदार कहानियां सुनाकर दिमाग़ तेज करे मिनटों में बच्चों को तेज तर्रार बनाने के लिए, पेरेंट्स हर-तरह से कोशिश करने के लिए तैयार रहते हैं. Maonduty के इस लेख से आप बहुत ही आसानी से दिमाग़ तेज कैसे करे के तरीक़े जान पाएँगे.
बच्चों की मनोरंजक और मज़ेदार कहानियां सिर्फ़ उनका मनोरंजन नहीं करती, बल्कि बच्चों का बौद्धिक विकास करने में भी हेल्प करती हैं. हम बच्चों की ऐसी मज़ेदार कहानियों का कलेक्शन लेकर आएं हैं, जिससे बच्चों की सूझ-बूझ, हाज़िर-जवाबी और दिमाग़ी क्षमता का विकास होगा.
बच्चों की कहानियां, उनकी कल्पना शक्ति और उनकी भाषा का विकास करने में बहुत मदद करती है. हम आपको यक़ीन दिलाते हैं कि बच्चा खेल-खेल में बड़ी से बड़ी समस्याओं को सुलझाना सीख जाएगा. वह समस्या से ज़्यादा समाधान पर फ़ोकस करने लगेगा. माना यह इंटरनेट का युग है लेकिन आज भी बच्चे मम्मी-पापा, दादा-दादी, नानी-नानी से कहानियां सुनना चाहते हैं. इन कहानियों के ज़रिए बच्चे का दिमाग़ तेज़ी से काम करेगा और उसकी स्मरण शक्ति का भी विकास होगा.
मैंने अपने बच्चों को, ये सारी बच्चों की कहानियां 3 साल की उम्र से सुनाना शुरू किया था. आज वे अपनी फ़ील्ड में नाम कमा रहे हैं.
तो चलिए, अपने बच्चों को रोज़ एक मज़ेदार कहानी सुनाना शुरू करे और उन्हें बीरबल और तेनालीराम जैसे बुद्धिमान बनाएं.
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बच्चों की मनोरंजक और मज़ेदार कहानियां सुनाकर दिमाग़ तेज करे मिनटो में.
बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए Magic Foods ही नहीं, दिमाग़ को भी अच्छी-अच्छी चीज़ें सुनानी चाहिए. सबसे पहले हम बात करेंगे विश्व-विख्यात बीरबल की.
अकबर-बीरबल की कहानियां l Akbar Birbal ki Kahaniya in Hindi
सूझ-बूझ, हाज़िर-जवाबी और चुनौतियों का समाधान देने की बात होती है तो सबसे पहले दिमाग़ में बीरबल का नाम याद आता है. अकबर हमेशा बीरबल की बुद्धिमत्ता और चतुराई से दंग रहते थे. बीरबल, बादशाह अकबर के नवरत्नों में से सबसे बहुमूल्य रत्न थे. अकबर-बीरबल की कहानियां हमेशा प्रेरनादायक कहानियां रही हैं. बादशाह अकबर अपने मुश्किल से मुश्किल मामलों को बीरबल की कुशाग्र बुद्धि की मदद से आसानी से सुलझा लिया करते थे.
अकबर बादशाह कई बार बीरबल की बुद्धिमत्ता परखने के लिए उन्हें नई-नई चुनौतियाँ देते थे. अब आप सोचिए कि जब आप बचपन से ही अपने बच्चों को अकबर-बीरबल की मज़ेदार कहानियां सुनाएँगे, तो आपकी जीवन की सबसे बड़ी समस्या दिमाग़ तेज कैसे करे का हल निकल जाएगा. बच्चे पढ़ाई में भी दिमाग़ तेज चला पाएँगे. बीरबल की सूझ-बूझ से प्रभावित होकर बच्चे भी पेशेन्स के साथ प्रोबलेम्स के सलूशन निकल पाएँगे.
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अकबर-बीरबल की कहानी – बीरबल की खिचड़ी l Birbal Ki Khichdi
ठंड का मौसम था, बादशाह अकबर अपने फूलो के बगीचे में अपने सबसे चतुर मंत्री बीरबल और एक दूसरे मंत्री के साथ सैर कर रहे थे. सैर करते हुए बादशाह ने मंत्री से पूछा,”अब की बार बहुत ज़्यादा ठंड पड़ रही है. ठंड के कारण महल से निकलते ही हालत खराब हो रही है?”
मंत्री ने बादशाह की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा,” जी हुज़ूर, बिल्कुल सही कहा आपने ठंड के कारण जनता ने घर से बाहर निकलना ही बंद कर दिया है.”
सैर करते-करते बादशाह अकबर बगीचे में बने तालाब के किनारे जा पहुँचे. उन्होंने अपना हाथ पानी में डाला, वे ठिठुर गए क्योंकि पानी बर्फ़ जैसा ठंडा था. अकबर बोले,”बिल्कुल सही कहा आपने इतनी सर्दी में कोई घर से बाहर नहीं निकलेगा.”
बीरबल को शांत देखकर, बादशाह ने बीरबल से पूछा,”बीरबल, आपका क्या ख़्याल है?” बीरबल सिर झुकाकर बोले,”माफ़ी चाहता हूँ, हुज़ूर! मेरा ख़्याल आपसे अलग है, मैं आप दोनो से सहमत नहीं हूँ.”
अकबर आश्चर्य में पड़ गए और बोले,”अच्छा, तो हमें भी बताईएं, आपका क्या ख़्याल है?” बीरबल बोले,”हुज़ूर, मेरा मानना है कि एक गरीब आदमी के लिए पैसा बहुत ज़रूरी है. इस बात से उसे कोई असर नहीं पड़ता कि मौसम कितना गर्म या ठंडा है?”अकबर आश्चर्य चकित होकर बीरबल से बोले,”तो आपका मतलब है कि इस कड़ाके की ठंड में भी गरीब आदमी पैसे के लिए, कोई भी काम करने को तैयार हो जाएगा.” बीरबल बोले,” जी हुज़ूर,बिलकुल यही कह रहा हूँ,मैं.”
बादशाह अकबर ने तुरंत बीरबल को चुनौती देते हुए आदेश दिया,”तो ठीक है, अगर आपने किसी को रात भर तालाब के बर्फ़ जैसे पानी में खड़ा रखकर प्रमाणित कर दिया, तो हम उस व्यक्ति को 20 सोने के सिक्के इनाम में देंगे.”
बादशाह की चुनौती को स्वीकारते हुए, बीरबल ने अगले दिन गरीब व्यक्ति को पेश करने का वादा किया.
अगले दिन बीरबल ने रामदीन नामक एक बहुत गरीब व्यक्ति को बादशाह अकबर के दरबार में पेश किया और कहा कि यह व्यक्ति 20 सोने के सिक्कों के लिए पूरी रात तालाब में खड़े रहने को तैयार है.
बादशाह अकबर ने दो सिपाही उस व्यक्ति की निगरानी के लिए नियुक्त कर दिए.
अगले दिन बादशाह अकबर ने हंसते हुए बीरबल से पूछा,” बीरबल, आपका दोस्त, कितनी देर टिका उस बर्फीले पानी में?” बीरबल ने उत्तर दिया,”महाराज, मैं रामदीन को दरबार में बुलाने की इजाज़त चाहता हूँ.” बादशाह ने सहमति दी.
बादशाह अकबर ने रामदीन को शाबाशी दी और बोले,”तुम पूरी रात बर्फ़ जैसे पानी में कैसे खड़े रहे और अभी तक सही सलामत हो. सभा को भी बताओ कि यह तुमने कैसे किया?”
रामदीन ने बताया,” महाराज, शुरू में मुझे बहुत परेशानी हुई, लेकिन कुछ समय बाद, मुझे महल की खिड़की पर एक जलता हुआ दीया दिखाई दिया. बस उस दीये को देखते-देखते मैंने सारी रात बिता दी.” अकबर नाराज़ हो गए और कहा,”धोखेबाज़, तुमने उस दीए की गर्मी से सारी रात बिता ली. मक्कार!! हम तुम्हें इस धोखे के लिए सजा नहीं दे रहे है,लेकिन तुम्हें कोई इनाम भी नहीं दिया जाएगा.” अकबर ने सिपाहियों को रामदीन को महल से बाहर ले जाने का हुक्म दिया.
अगले दिन सभा में बीरबल को न पाकर अकबर बादशाह ने सिपाही से पूछा,”बीरबल कहा है?” सिपाही ने बताया,”बीरबल, आज महल नहीं आए.” बादशाह ने सिपाही को आदेश दिया कि तुरंत बीरबल को बुलाकर लाओ.
थोड़ी देर में सिपाही अकेले ही दरबार में लौट आया. सिपाही ने बताया,”बीरबल खाना पका रहे हैं और उन्होंने कहा है कि खाना पूरी तरह पक जाने के बाद ही वे दरबार आएँगे.” सिपाही की बात सुनकर अकबर सोच में पड़ गए और उन्होंने बीरबल के घर जाने का निर्णय लिया.
जब बादशाह अकबर बीरबल के घर पहुँचे, तो पाया कि बीरबल ने नीचे ज़मीन पर लकड़ियाँ जला रखी है और एक बहुत ऊँची खूँटी पर एक हांडी टांग रखी है. बादशाह आश्चर्य में पड़ गए और बीरबल से पूछा कि यह तुम क्या कर रहे हो? इस पर बीरबल ने जवाब दिया कि वह अपने भोजन के लिए खिचड़ी पका रहे हैं. बादशाह अकबर ने कहा,”अरे! क्या तुम पागल हो गए हो? यह खिचड़ी कैसे पकेगी? तुमने हांडी को इतने ऊँचे पर टांग रखा है और उसके नीचे ज़मीन पर लकड़ियाँ जल रही हैं. खिचड़ी पकने के लिए हांडी तक गर्मी कैसे पहुँचेगी?”
बीरबल ने बहुत शांति से उत्तर दिया,”क्यों नहीं पहुँचेगी,हुज़ूर? जब महल की खिड़की पर रखे दीए से रामदीन को गर्मी मिल सकती है, तो मेरी खिचड़ी की हांडी तो फिर भी आग के बहुत पास है. बीरबल की बात सुनकर बादशाह हैरान हो गये और हंसते हुए बोले,”बीरबल, हम तुम्हारी बात अच्छी तरह समझ गए.” इसके बाद बादशाह ने रामदीन को महल में बुलवाया और उसे 20 सोने के सिक्कों का इनाम दिया. बीरबल की सूझ-बूझ के लिए उन्होंने बीरबल को भी इनाम दिया.
कहानी से सीख: बच्चों,बीरबल की खिचड़ी की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों की सफलता के पीछे किए गए परिश्रम को जाने बग़ैर उनके बारे में राय नहीं बनानी चाहिए.
आप इसी तरह की और बुद्धिमत्ता वाली बच्चों की मज़ेदार कहानियां बच्चों को सुना पाए और उनका दिमाग़ तेज करे. मैं अपने बच्चों को अकबर-बीरबल की कहानियों को इंग्लिश-हिंदी दोनो भाषाओं में पढ़ कर सुनाती थी. जिससे बच्चों का भाषा विकास हो व पढ़ाई में दिमाग़ तेज चले. आप से भी दोनो बुक्स का link share कर रही हूँ. बच्चों को रोज़ एक कहानी सुनाना ज़रूर. फिर देखना कमाल!
बच्चों के माइंड गेम्स, दिमाग़ तेज करने का सबसे बड़ा उपाय है.
तेनालीराम की कहानियां l Tenaliram Ki Kahaniya
भारत में ऐसे कितने ही ज्ञानी हुए, जिनकी तेज बुद्धि के चर्चे हर जगह हुए हैं. उनके चतुराई के क़िस्से हर किसी को रोमांचित करते हैं. भारत के ऐसे ही बुद्धिमान लोगों में से एक हैं, तेनालीराम. तेनालीराम, विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के सबसे ख़ास मंत्री थे. वे उन्हें हर परेशानी से निकलने में मदद करते थे. दिमाग़ तेज कैसे करे के लिए तेनालीराम की मज़ेदार कहानियां सुनाना सबसे बड़ा उपाय है. तेनालीराम से जुड़े ये क़िस्से बच्चों के मानसिक विकास के लिए बहुत अच्छा ज़रिया है.
बच्चों की कहानियां सुनाइएं और उन्हें हंसी-हंसी में सीख भी दे डालिए. हम आपको तेनालीराम की ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो प्रमाण इस बात का है कि चतुराई और बौद्धिक कौशल से किसी भी समस्या का समाधान निकला जा सकता है और पढ़ाई में दिमाग़ तेज करने का तरीक़ा भी है.
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तेनाली राम की मज़ेदार कहानियां – शिल्पी की अदभुत मांग l Shilpi Ki Maang Story in Hindi
बच्चों की मनोरंजक कहानियों में से एक है यह. विजयनगर के महाराज कृष्णदेव राय हर बार तेनाली राम की बुद्धिमत्ता से आश्चर्यचकित रह जाते थे. इस बार तो महाराज तेनाली राम की सूझ-बूझ से दंग रह गए. हुआं यू कि एक बार कृष्ण देव राय युद्ध जीत कर विजयनगर लौटे और उन्होंने विजय उत्सव मनाने की घोषणा की. पूरे नगर को सजाया गया. अपनी इस जीत की ख़ुशी में नगर में विजय स्तंभ बनाने का ख़्याल उनके मन में आया.
विजय स्तंभ बनाने के लिए महाराज ने सबसे होशियार शिल्पकार को बुलवाया और स्तंभ बनाने का आदेश दिया.
शिल्पी ने महाराज का आदेश स्वीकारते हुए, कई हफ़्तों तक दिन-रात एक करके विजय-स्तंभ का काम पूरा किया. विजय स्तंभ बनकर तैयार हो गया और महाराज, उनके दरबारी व नगरवासी शिल्पी की कला को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए.
शिल्पी की कला से ख़ुश होकर महाराज ने उसे इनाम माँगने को कहा,”हे महाराज, आपको मेरा काम अच्छा लगा, मेरे लिए यही सबसे बड़ा इनाम है. आप बस अपनी कृपा मुझ पर बनाए रखिएगा. महाराज शिल्पी का जवाब सुनकर बहुत प्रसन्न हुए. लेकिन वे शिल्पी को कोई-न-कोई इनाम ज़रूर देना चाहते थे. इसलिए उन्होंने शिल्पी को कहा कि उसे कोई-न-कोई इनाम ज़रूर लेना पड़ेगा.
दरबार में बैठे सभी लोग शिल्पकार से बोले कि महाराज प्रसन्न होकर तुम्हें कुछ देगा चाहते है. तुम जल्दी से मांग लो. शिल्पकार बहुत स्वाभिमानी और बुद्धिमान था. शिल्पी को लगा कि अगर वह कुछ नहीं माँगेगा, तो महाराज नाराज़ हो जाएँगे. अगर वह कुछ लेता है, तो वह उसके असूलो के ख़िलाफ़ है.
कुछ समय सोचने के बाद शिल्पकार ने, अपने औज़ारों का झोला ख़ाली किया और राजा से कहा कि आप मेरे झोले में दुनिया की बहुमूल्य वस्तु भर दीजिए.
अब शिल्पी की बात सुनकर राजा कृष्ण देव राय सोच में पड़ गए कि ऐसी कौन-सी वस्तु है, जो सबसे बहुमूल्य है. महाराज ने दरबार में बैठे अपने सभी मंत्रियों से इसका जवाब माँगा. लेकिन घंटो सोचने और विचार करने के बाद भी किसी को कोई जवाब न सूझा.
अब महाराज पूरी तरह परेशान हो गए थे और शिल्पी से कहने लगे कि दुनिया में हीरे-जवाहरात से बढ़कर कुछ नहीं है. तुम्हारा झूला उसी से भर देते हैं. शिल्पी ने इनकार करते हुए कहा,”नहीं महाराज, हीरे-जवाहरात दुनिया में सबसे बहुमूल्य नहीं है, मैं वो नहीं ले सकता.”
तेनाली राम उस दिन सभा में मौजूद नहीं थे. महाराज ने उन्हें तुरंत दरबार में बुलाने का आदेश दिया. रास्ते में ही सेवक ने उन्हें महाराज की चिंता का करण बता दिया.
दरबार में पहुँचते ही तेनाली राम ने सबसे पहले महाराज को प्रणाम किया और फिर ऊँची आवाज़ में बोले,”जिसे भी सभा में बहुमूल्य वस्तु चाहिए, वह सामने आए.” तेनाली राम की बात सुनकर शिल्पी ख़ाली झोला लेकर तेनाली राम की ओर बढ़ा.
तेनाली राम ने झोला लिया और उसके मुँह को खोलकर, हवा में 3-4 बार उप्पर नीचे हिलाकर झोले का मुँह बांध दिया. तेनाली राम ने झोला शिल्पी को दिया और कहा कि दुनिया की सबसे क़ीमती वस्तु झोले में डाल दी है. शिल्पकार ने राजा को प्रणाम किया और महाराज से अनुमति लेकर, औज़ार उठाकर सभा से चला गया.
अब सब अचंभित थे कि शिल्पकार बहुमूल्य वस्तु की जगह ख़ाली झोला लेकर चला गया था. महाराज उत्सुकता से तेनाली राम की तरफ़ देखने लगे. तेनाली राम ने कहा,”हे महाराज, शिल्पी का झोला ख़ाली नहीं था, क्योंकि उसमें दुनिया की सबसे क़ीमती वस्तु हवा भरी थी. इस दुनिया में हवा से क़ीमती और कुछ भी नहीं,जिसके बिना हम नहीं रह सकते.”
तेनाली राम की बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर, महाराज ने उसे इनाम के रूप में गले से एक क़ीमती मोतियों की माला निकालकर पहना दी. यह कहानी बच्चों की कहानियां हिंदी में से एक शानदार कहानी है.
कहानी से सीख: इस कहानी से दो सीख मिलती है. पहली यह है कि धन से स्वाभिमान नहीं ख़रीदा जा सकता. दूसरी यह कि दुनिया में सबसे क़ीमती हवा है, जिसका मूल्य कोई नहीं बता सकता. हमें यह मुफ़्त मिलती है. इसलिए हम सबसे क़ीमती दौलत को समझ लेते हैं. बच्चों को रोज़ मज़ेदार कहानियां, प्रेरणदायक कहानियां सुनाएं. वे अपने रोज़ की समस्याओं के हल निकालना सीख जाएँगे और उनका दिमाग़ भी तेज कम करेगा.
तेनाली राम की अदभूत कहानियो की बुक्स का लिंक share कर रही हूँ. जो मैंने अपने बच्चों को कई बार सुनाई.
पंचतंत्र की मज़ेदार कहानियां
पंचतंत्र की कहानियां बच्चों की मज़ेदार कहानियों में से एक है. दिमाग़ तेज करने के लिए, पंचतंत्र की कहानियां, बेहतर सीख, संस्कार व जीवन में व्यवहारिकता का ज्ञान बहुत ही सरल शब्दों में देती है. आप बच्चों की कहानियों के माध्यम से वह सब कुछ सिखा पाओगे, जो आप सीधे शब्दों में कहकर नहीं समझा सकते. बच्चे ख़ुश होने के साथ-साथ, दिमाग़ का इस्तेमाल करना भी सीखेंगे. तो चलिए सुनाते हैं, बच्चों को नैतिकता व सदाचार से भरी शिक्षाप्रद कहानियां.
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पंचतंत्र की मज़ेदार कहानियां: शेरनी का तीसरा पुत्र l The Lioness Third Son Story in Hindi
एक बार जंगल में एक शेर और शेरनी रहते थे. वे दोनो एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे. हर दिन दोनो जो भी शिकार करके लाते, उसे बराबर-बराबर बाँटकर खाते थे. दोनो एक दूसरे पर बहुत विश्वास करते थे. थोड़े दिन बाद वे दो पुत्रों के माता-पिता बन गए.
जब शेरनी ने बच्चों को जन्म दिया, तो शेर उसकी दशा को समझते हुए बोला,”अब तुम घर पर रह कर बच्चों की देखभाल करो. उन्हें किसी चीज़ की कमी नहीं होनी चाहिए. अब से शिकार पर सिर्फ़ मैं जाऊँगा. शेरनी ने सहमति दिखाई और शेर अकेले ही शिकार पर जाने लगा.
एक दिन शेर को कोई भी शिकार नहीं मिला. जब वह निराश होकर घर की तरफ़ जा रहा था, तो उसे रास्ते में एक लोमड़ी का बच्चा दिखाई दिया. शेर ख़ुश हो गया और उसने सोचा कि आज वह उसे ही शिकार करेगा.
लेकिन जैसे ही शेर ने लोमड़ी के बच्चे को पकड़ा, वह बहुत छोटा था. शेर को उसपर दया आ गयी. वह लोमड़ी के बच्चे को घर पर लेकर चल दिया.
घर पर पहुँच कर शेर ने पूरी कथा सुनाई और शेरनी से उस बच्चे को मारने को कहा. शेरनी ने कहा,” जब तुम इस बच्चे को मार नहीं पाए, तो मैं कैसे मार सकती हूँ? इसे भी मैं अपने दोनो बच्चों की तरह पालूँगी और अब ये हमारा तीसरा पुत्र है.
शेर और शेरनी लोमड़ी के बेटे को अपने पुत्रों की तरह प्यार करने लगे. लोमड़ी का बच्चा शेर के बच्चों की तरह खेलने-कूदने लगा और बढ़ने लगा. तीनो बच्चे शेरों की तरह पल रहे थे.
जब वह तीनो बड़े हुए, तो खेलने के लिए जंगल में गए. एक दिन एक हाथी को देखकर शेर के बच्चे हाथी के पीछे शिकार के लिए भागने लगे. लेकिन लोमड़ी का बच्चा डर गया और उनको माना करने लगा. लेकिन शेर के बच्चे नहीं माने और लोमड़ी का बच्चा वापिस शेरनी माँ के पास लौट आया.
थोड़ी देर बाद शेरनी के बच्चों ने लौटकर सारी कहानी सुनाई. उन्होंने माँ से कहा कि वे दोनो हाथी के पीछे गए थे. लेकिन तीसरा भाई डर के घर भाग आया. इसे सुनकर लोमड़ी का बच्चा ग़ुस्से में चिल्लाने लगा कि मैं किसी से नहीं डरता, मैं तुम दोनो को भी पटक-पटक कर मारूँगा.
शेर ने लोमड़ी के बच्चे को समझाना चाहा कि उसके दोनो भाई सच बोल रहे हैं. इस पर लोमड़ी का बच्चा और चिड़ गया और और ग़ुस्से में बोला,”आपको भी लगता है कि मैं डरपोक हूँ?”
शेरनी लोमड़ी के बच्चे को अकेले में ले गयी और उसे लोमड़ी का बेटा होने का सच बताया. तुम लोमड़ी वंश के हो. इसलिए तुम हाथी का शिकार नहीं कर सकते और डर गए.
तुम्हारे भाई शेर वंश के हैं और हाथी का शिकार कर सकते हैं. शेरनी ने कहा कि जिस दिन तुम्हारे भाइयों को तुम्हारा सच पता चल जाएगा, तो उस दिन वे तुम्हारा भी शिकार कर सकते हैं. इसलिए तुम मौक़ा देखते ही भाग जाओ और अपनी जान बचाओ.
सच पता लगते ही लोमड़ी का बच्चा डर गया और वहाँ से भाग निकला.
कहानी से सीख: शेरनी और शेर के तीसरे पुत्र की कहानी बच्चों को यह सीख देती है कि कायर वंश के लोग बहदुर लोगों के बीच पले भी तो भी वह बहदुर नहीं बन सकते. उनकी आदतों में उनकी वंशज की सोच और दक्षता की झलक बनी रह सकती है.
पंचतंत्र की कहानियां, बच्चों की मनोरंजक और मज़ेदार कहानियां में से एक है. पढ़ाई में दिमाग़ तेज करने का सबसे आसान तरीक़ा. रोज़ एक कहानी सुनाएं और बच्चों को समझदार और तेज तर्रार बनाएं. मैं यहाँ पंचतंत्र की कहानियों की बुक्स का लिंक share कर रही हूँ. फटाफट मंगाएं और बच्चों को कहानी सुनानी शुरू करे.
बच्चों को कहानियां कैसे सुनाएं? अभिभावको के लिए बच्चों को कहानी सुनाने के टिप्स
पेरेंट्स का कहानी सुनाने का तरीक़ा बहुत प्रभावी होना चाहिए.
1 बच्चों को अपने बिल्कुल पास बैठाकर कहानी सुनानी चाहिए. यह एक बहुत अच्छा बांडिंग टाइम है.
2 बच्चों को कहानी सुनाते समय बच्चों को उत्साहित करे कि आगे क्या होने वाला है? कहानी ख़त्म होने पर बच्चों से कहानी से मिली सीख की बात करे.
3 कहानी से सम्बंधित सवाल बीच-बीच में पूँछते रहे.
4 बच्चों को कहानी में बने चित्र दिखाकर प्रश्न पूँछे.
5 अपनी वोईस मोडुलेशन करे, आवाज़ ऊँची-नीची करे.
6 पेरेंट्स को ध्यान रखना होगा कि कहानी मज़ेदार होनी चाहिए, बच्चे बोर न हो.
7 बड़े बच्चों से कहानी के विचार लिखने को कहे, जिससे उनका बौद्धिक रचनात्मकता का विकास हो.
निष्कर्ष – Conclusion
हमने अपने इस लेख में आपको बताया है कि दिमाग़ तेज कैसे करे, बच्चों की मनोरंजन और मज़ेदार कहानियां सुनाकर. हमने विश्व विख्यात बुद्धिमत्ता की कहानियां जैसे अकबर-बीरबल की कहानियां, तेनाली राम की कहानियां व पंचतंत्र की कहानियों के उदाहरण आपको दिए हैं.
जब आप रोज़ ये कहानियां अपने बच्चों को सुनाएँगे तो यक़ीन मानिए वे पढ़ाई में दिमाग़ तेज चला पाएँगे. कहानियां सुनाना dimag tej kaise kare और dimag tej karne ka best tarika है. आपके बच्चे बचपन से ही सारी युक्तियाँ सीख जाएँगे.
आपका बच्चे को सुपर इंटेलिजेंट बनाने का सपना पूरा हो जाएगा.
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बहुत सारे प्यार के साथ,
आपकी मित्र विभा!!
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